सबसे पहले तो ये नाम- कनुप्रिया- मुझे बहुत पसंद है. शायद इसके मूल में धर्मवीर भारती की 'कनुप्रिया' पुस्तक के प्रति बेहद आसक्ति होना हो. इसलिए आपके ब्लॉग पर आना मुझे बहुत संतोष दे गया, सायद कहीं मुक्त भी कर गया मुझे.
मैं सोच ही रहा था अपनी डायरी के पन्नों के सच को बाहर लाने के लिए, कि आपके लिखे ने मुझे गहन रूप से झिंझोर डाला, कि कहना आसान हुआ, कि पुरानी यादों में लौटने का इमकान हुआ.
सोमवार, 5 अक्तूबर 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मेरी पुस्तक- ‘तीस साल लम्बी सड़क’ से......
मेरी पुस्तक- ‘ तीस साल लम्बी सड़क ’ से...... मेरे बचपन के देखे घर में हमेशा एक नौकर भी रहा है। एक नौकर था , जिसका नाम था ‘ बच्चू ’, पर घर...
-
समीक्षा: उपन्यास ‘ ताली ’ लेखक- डॉ किशोर सिन्हा डॉ प्रतिभा जैन …… हूँ ब्रह्म की संतान फिर क्यों ? अञ्चींन्हीं सृ...
-
व्यष्टि से समष्टि की यात्रा : फेड इन , फेड आउट **...
-
मेरी पुस्तक- ‘ तीस साल लम्बी सड़क ’ से...... कड़ी- 01 शब्दों का आकाश यों मेरा बचपन कोई इतना दूसरों के बचपन से अलग भी नहीं था। उसमें भ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
comments